(1.) आमद तितलियों को बुलाने फूल उगाए पक्षियों को बुलाने पेड़ लगाए बारिश खुद ही चली आई रहने के लिए...
Read more1. प्रेम का आभास एक अनंत तक प्रेम को ढूँढा थक गया हार गया... कहीं न मिला जिसकी मुझे तलाश...
Read more(1.) पिता जो बिन जताए, हर वादा निभाए। सींचे अपनी तनहाइयों को, जड़ बनकर। फिर हम तुम ऊँचाइयाँ छुएँ, और...
Read moreविकास रहता है आजकल आकाश छूती इमारतों में, भव्य मोटर-गाड़ियों में, शायद उसे वैभव पसंद है। विकास घूमता है बेफिकर...
Read more(1) वापस लौट जाओ मृत्यु के देवता! यह तुम्हारा समय नहीं है यह वैचारिक रूदालियों का भी समय नहीं न...
Read moreजोगी जा उस देश को, गम बेगम के पार। छोड़ ठिकाना द्वेष का, कर दें माया क्षार।।1।। जोगी धर लें...
Read moreसमझदार हैं बच्चे जिन्हें नहीं आता पढ़ना क, ख, ग हम सब पढ़कर कितने बेवकूफ़ बन चुके? यह समय और...
Read moreयह जगह आरक्षित है यह जगह आरक्षित है कोई रो नहीं सकता कोई पूछे तो कहना यहाँ कोई रोया नहीं...
Read more1. एक पेड़ कैसे बोया जाए पाला पोसा जाए एक पेड़ सचाई का यह मिट्टी झूठ के बीजों के लिए...
Read moreमौन का सफ़र जाना चाहता हूँ एक ऐसे सफ़र पर जहाँ से चाहकर भी लौटना मुमकिन नहीं इस आपाधापी से...
Read moreप्रेम को समझने के लिए, सिर्फ प्रेम कहानियाँ और कविताएँ पढ़ने की जरूरत नहीं है। मैंने देखा है... माँ को...
Read more1. जलप्रलय फूल लिखना अनिवार्यता है मैं चाहती हूं कुछ नए खिले अधखिले महकते गंधहीन फूलों की बात लिखूं। मुझे...
Read more1. दफ़्न करके हसरतों को मुस्कराना आ गया ज़िंदगी हमको तेरा कर्ज़ा चुकाना आ गया //१// थी अना की एक...
Read moreवो अकसर बड़े प्रेम से सहेजता था अपने बोनज़ाई पौधे को बहुत ख्याल था उसे उसके रूप और बनावट का...
Read more1. अंगीठी... सुनो प्रिय, फिर एक कविता उतर आई थी, सर्द रातों की ठिठुरन को चीरते हुए, ज़हन में, जिसमें...
Read moreकूड़ेदान संग्रहालय बन सकता है। टूटे कप और गिलासों का, नकली मोती की टूटी मालाओं का, मलिन कपड़ों का, अनेक...
Read moreअभी इश्क़ लिखने का दिल नहीं है मैं कोशिशें हज़ार करता हूँ मगर रूह है कि सिहर जाती है नज़र...
Read moreब्यूटिया मोनोस्पर्मा अभी चार दिन पहले ही तो दुलहंडी थी बसंत शान से ऐंठा हुआ था कुछ कपोलें फूट चुकी...
Read more(1.) जवान हो रहा मेरा गाँव इन दिनों मैं मिल रहा हूँ उस मिट्टी से पहाड़ से नदी से जंगल...
Read more१. खिड़कियाँ हमारे बीच के शून्य में असंख्य खिड़कियाँ थीं, जो खुलती थीं उस पार। झाँककर देखने के बजाय गिरने...
Read moreनारी तेरे रूप की, महिमा अपरंपार। तू ही है जग की धुरी, तुझ से ये संसार।१। नारी तू तेजस्विनी, तेरे...
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