कर्ज़ रोम के भगोड़े गुलाम ने जंगल में दर्द से बेज़ार खूॅंखार शेर के पँजों से निकाला था गहरे धँसा...
Read moreवापसी माँ.! उतारो मेरी बलाएँ चाचियों को सूचना दो बनाओ आज रात मीठे पकवान बहन.! आओ मेरी छाती से लग...
Read more(१) सखि आओ तुम अलि आओ तुम, काली आंखों में ढेर सारा काजल डालकर, जैसे हर दिन के बाद चली...
Read moreऐसा क्यूं होता है! जब भी मन उदास होता है तुम कहीं आस-पास होते हो कभी तन्हाइयों में तुम्हारी मौजूदगी...
Read more(1) जानकी वो जो करुणानिधान कहलाते हैं... अन्तस में जिन्हें... शिव पाते हैं...! जिनके चरणों की महिमा को... वेद पुराण...
Read moreसर्दियों की धूप चाय के प्याले में गुनगुनी धूप बचपन का आंगन। महीन धागों सी उठती भाप की लकीरें उड़ाती...
Read more1) खालीपन के बिल में स्त्री नहीं भरती खालीपन को मित्र नहीं भरते दुनिया में चलतीं इतनी साँसें एक खाली...
Read moreगंगा की कल-कल धारा कहती तू रूक जा रे मैं कहती गंगा तू बहती जा रे। तट है, तेरा बड़ा...
Read moreपहचान पशु पक्षी अपनी बोली बोलते हैं प्रेम करते हैं प्रकृति से नदियों के बहते जल में अठखेलियाँ करते हैं...
Read more१) रंग सारे उड़ गये शायद हवा में जिंदगी फिर श्वेत श्यामल हो गई है राह अब कैसे मिले घनघोर...
Read moreखेलती है बारिश खेलती है बारिश पहाड़ों, पेड़ों, नदी, नहरों के साथ खेलती है बारिश सड़कों, घरों, दरों-दीवारों के साथ...
Read more(मंगलेश डबराल के लिए...) १. धरती के कवि का जाना कुछ यूं है जैसे भाषा में छा गई...
Read moreधूप का कतरा रेशा रेशा पिघलती हूं मैं तेरे नशे में, मानो एक कतरा धूप का मिला, बरसों के अंधेरे...
Read more1) सिंड्रेला खो चुका है चमचमाता जूता, टूट चुका है अर्द्धरात्रि का जगमगाता दिवा स्वप्न, इच्छाओं की लड़ियाँ टूटी बिखरी...
Read more■ सैनिक का खत सीमा की निगरानी में हूँ मैं थका नहीं तुम सुनो अभी मैं राग अलापा करता हूँ...
Read more(1) तेरी महफ़िल में गर ठहर जाते हम तिरी बेरुख़ी से मर जाते तेरा हर ज़ुल्म सह लिया हँसकर छोड़...
Read moreदोहा प्राचीनतम एवं लोकप्रिय काव्य विधा है. भारतीय कवियों और संतों ने इस शैली में लिखकर ज्ञान-आलोक फैलाया. एक दोहाकार...
Read more1. आंखों में दिख जाएगा छुप नहीं सकते तुम खुद अपने आप से, निगाहें तो मिलाओ दर्पण में जनाब से!...
Read moreबादलों को देखकर हमेशा ही अच्छा लगता है कभी रूई से लगते हैं कभी बूढ़े बाबा की दाढ़ी जैसे कभी...
Read moreतुम और तुम्हारी तस्वीर से अक्सर मैं बातें करती हूं तुम अगर होते तो कैसे लगते तुम साथ होते तो...
Read moreएक दृष्टि ... मैं एक स्त्री अपने पूरे व्यक्तित्व और अस्तित्व के साथ अपने सपनों को पंख देते हुए सतरंगी...
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